जिले में वर्तमान में सोयाबीन की फसल में तने की मक्खी, सेमीलूपर, तंबाकू की इल्ली, चने की इल्ली एवं रोगों का प्रकोप होने संबंधी जानकारी प्राप्त हो रही है, जिसको ध्यान में रखते हुए कृषि विज्ञान केन्द्र के प्रधान वैज्ञानिक एवं प्रमुख डॉ. ए.के.दीक्षित के दिशा-निर्देश व मार्गदर्शन में केन्द्र के वैज्ञानिकों के साथ कृषि विभाग के अधिकारियों की डायग्नोस्टिक टीम द्वारा विकासखण्ड टोंकखुर्द के चौबाराधीरा, मुंडला दांगी, इकलेरा माताजी, इलासखेड़ी, धूतखेड़ा, किंदूरिया, कल्लूखेड़ी, चौबारा, भूतिया एवं सोनकच्छ विकासखण्ड के नराना, अरनिया, खटम्बा, जामगोद ग्रामों के कृषकों के खेतों में सोयाबीन फसल का निरीक्षण किया।

निरीक्षण के दौरान सोयाबीन की फसल में तने की मक्खी का प्रकोप ज्यादा देखा गया साथ ही कहीं-कहीं पर हरी अर्द्धकुंडल इल्ली, चने की इल्ली भी पाई गई। कुछ क्षेत्रों में भ्रमण के दौरान, कुछ खेतों में पौधों की बढ़वार ज्यादा एवं अफलन की शिकायत पाई गई। जो जगह-जगह ज्यादा बीज मात्रा, इल्ली के प्रकोप व मौसम की प्रतिकूलता के कारण होने की संभावना है। समस्या को देखते हुए कृषि विज्ञान केन्द्र के वैज्ञानिक डॉ. मनीष कुमार व डॉ. महेन्द्र सिंह द्वारा ग्राम इकलेरा माताजी में कृषकों को प्रशिक्षित किया गया, जिसमें विभिन्न गांवों के 60 किसानों ने भाग लिया।

प्रशिक्षण के दौरान सलाह दी कि तना मक्खी व सफेद/हरे मच्छर के नियंत्रण हेतु लेम्डा सायहेलोथ्रिन+थायमिथोक्सोजाम 125 ग्राम या बीटासायफ्लूथ्रिन+इमिडाक्लोरपिड 350 एम.एल. का उपयोग करें। केवल सफेद मक्खी हैं तो ऐसी स्थिति में केवल थायमिथोक्सोजाम 25 डब्ल्यू.जी. 100 ग्राम प्रति हेक्टेयर 500 लीटर पानी के साथ उपयोग करें। हरी अर्द्धकुंडल इल्ली, तंबाकू की इल्ली एवं चने की इल्ली की रोकथाम के लिए प्रोपेनोफॉस 50 ई.सी. 1.25 ली. या इमाबेक्टिन बेंजोएट 5 एस.जी. 300 ग्राम या इंडोक्साकार्ब 15.8 ई.सी. 350 एम.एल. या फ्लूबेंडियामाइड 150 एम.एल. या क्लोरएन्ट्रानिलिप्रोल 18.5 एस.सी. 150 एम.एल. प्रति हेक्टेयर की दर से 500 लीटर पानी में मिलाकर छिड़काव करें। फफूंद जनित एन्थ्रेकनोज नामक बीमारी के नियंत्रण हेतु टेबूकोनाझोल 625 मिली. या टेबूकोनाझोल+सल्फर 1 किग्रा. या पायरोक्लोस्ट्रोबीन 20 प्रतिषत डब्ल्यू.जी. 500 ग्राम या हेक्साकोनोझोल 5 प्रतिषत ईसी. 800 मिली. प्रति हेक्टेयर 500 लीटर पानी के साथ छिड़काव करें। अफलन की समस्या के सुधार के लिए घुलनषील बोरोन 500 ग्राम $ चिलेटेड लोहा 500 ग्राम+चिलेटेड कैल्शियम 500 ग्राम या मैंकोजेब+ कार्बंडाजिब 1.25 किग्रा. 500 लीटर पानी के साथ प्रति हेक्टेयर छिड़काव करें। 10 दिन बाद दुबारा दोहरायें तो काफी हद तक नुकसान को कम करने में आसानी होगी।

डायग्नोस्टिक टीम में कीट वैज्ञानिक डॉ. मनीष कुमार, डॉ. शस्य वैज्ञानिक महेन्द्र सिंह, सहायक संचालक कृषि श्री लोकेश गंगराडे, वरिष्ठ कृषि विकास अधिकारी पी.एस.यादव, कृषि विकास अधिकारी अशोक झाला, ग्रामीण कृषि विस्तार अधिकारी छगनलाल पिपलोदिया, क्षेत्र के जनप्रतिनिधिगण एवं कृषक शामिल थे।

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