इस साल रक्षाबंधन पर पूरे दिन भद्रा नहीं रहेगी। इस कारण दिनभर रक्षाबंधन मनाया जा सकेगा। रविवार को गुरु कुंभ राशि में वक्री है और साथ में चंद्र भी है। इन ग्रहों की वजह से गजकेसरी योग बन रहा है।
2021 से पहले 1547 में धनिष्ठा नक्षत्र और सूर्य, मंगल और बुध के दुर्लभ योग में रक्षाबंधन मनाया गया था।
उज्जैन के ज्योतिषाचार्य पं. मनीष शर्मा के मुताबिक इस साल रक्षाबंधन पर सूर्य, मंगल और बुध सिंह राशि में रहेंगे। सिंह राशि का स्वामी सूर्य ही है। इस राशि में उसका मित्र मंगल भी रहेगा। इस दिन शुक्र कन्या राशि में रहेगा। ग्रहों के ये योग शुभ फल देने वाले हैं। ऐसा योग 2021 से 474 साल पहले बना था। 11 अगस्त 1547 को धनिष्ठा नक्षत्र में रक्षाबंधन मनाया गया था और सूर्य, मंगल, बुध की ऐसी ही स्थिति थी। उस समय शुक्र बुध की मिथुन राशि में था, जबकि इस साल शुक्र बुध ग्रह की ही कन्या राशि में स्थित है।

रक्षाबंधन पर शोभन योग सुबह करीब 10.37 बजे तक रहेगा। अमृत योग सुबह 5.40 से शाम 5.30 बजे तक रहेगा। रविवार को धनिष्ठा नक्षत्र होने से मातंग नाम का शुभ योग भी रहेगा।
रक्षासूत्र बांधते समय बोलें ये मंत्र :- येन बद्धो बली राजा दानवेन्द्रो महाबलः।तेन त्वां अभिबध्नामि रक्षे मा चल मा चल।।
अर्थ :- जिस तरह महालक्ष्मी ने एक धागे से असुरराज बलि को बांध दिया था, उसी तरह का धागा मैं मेरे भाई को बांधती हूं। भगवान मेरे भाई की रक्षा करें। यह धागा कभी टूटे नहीं और आप हमेशा सुरक्षित रहें।
