“तन काम में और मन राम में होना चाहिए” – चातुर्मास व्रत अनुष्ठान के अन्तर्गत चल रही श्रीमद् भागवत कथा के द्वितीय दिवस पर कथा का वाचन करते हुए साध्वी सुगणा बाईसा
देवास। संत शिरोमणी रावतपुरा सरकार के सानिध्य में चल रहे चातुर्मास व्रत अनुष्ठान के अन्तर्गत चल रही श्री मद्भागवत कथा के द्वितीय दिवस पर कथा का वाचन करते हुए साध्वी सुगणा बाईसा ने कहा कि संतों ने कहा है कि मानव शरीर कमाना, खाना ओर चले जाना इसलिए नहीं मिला है हमारा कर्म है धन कमाना परिवार चलाना सेवा करना पर हमारा धर्म है कि सारी जिम्मेदारी को निभाते निभाते भगवान का भजन करना। भगवान को हम भूले नही ऐसा प्रयास हमेशा रहना चाहिए। काम करते करते भगवान का स्मरण करना चाहिये मन ही मन राम राम कृष्ण कृष्ण या आप जिनको मानते हो उनका स्मरण करते रहना चाहिए। संत कहते है कि तन काम में और मन में राम होना चाहिये। ग्रहणी का पहला काम अपने कर्तव्य का पालन करना फिर भगवान की पूजा करना। प्रथम स्कन्ध में देवर्षि नारद जी के पूर्व जन्म का वृतांत है नारद जी का पूर्व जन्म एक ब्राम्हण परिवार में हुआ था नारद जी जब बहुत छोटे थे तभी इनके पिताजी का देहांत हो गया। इनकी माताजी दासी का काम करती थी धन की बहुत कमी थी एक बार नारद जी के गांव में चातुर्मास बिताने के लिए साधु संत पधारे उन्होंने कहा कि आपके गांव में कोई ऐसा बालक है जो हमारी सेवा कर सकें फल, फूल ला सके, भोजन इत्यादी में मदद कर सके उसको हमारी सेवा में छोड़िये गांव वालों ने सोचा ओर कोई तो इस काम के लिए तैयार नहीं होगा लेकिन हमारे गांव में एक विधवा ब्राम्हणी रहती है उसी के बालक को छोड़ देते है इस प्रकार नारद जी को सेवा में छोड़ दिया नारद जी ने संतों की सेवा की। चार महिने तक संतो के साथ रहे चातुर्मास के उपरांत संत जन जाने लगे तो नारद जी ने रो कर कहा कि मुझे भी अपने साथ ले चलों संतो के साथ रहे तो भक्ति का रंग चढ़ गया ओर नारद जी भगवान के सबसे प्रिय भक्त बन गये। जीवन में संगत का बहुत असर रहता है आप जैसे व्यक्ति के साथ रहोगे धीरे धीरे आपका जीवन भी सामने वाले जैसा परिवर्तित हो जायेगा इसलिए अच्छे व्यक्ति की संगत करना चाहिए। अगर जीवन में आगे बढ़ना है तो उसी व्यक्ति के साथ रहिए जो आगे बढ़ने की चाह रखता हो। साध्वी जी ने संतन के संग लाग रे तेरी बिगड़ी बनेगी तथा राम नाम सुखदायी भजन करों रे भाई ये जीवन दो दिन का है…… भजन सुनाकर श्रोताओं को मंत्र मुग्ध कर दिया।
साध्वीजी ने कार्यक्रम आयोजक विधायक राजमाता एवं महाराज विक्रमसिंह पवार तथा उनके परिवार की इस आयोजन के लिए प्रशंसा की तथा कहा कि आज चातुर्मास व्रत अनुष्ठान का लाभ राज परिवार के साथ साथ पुरे शहर को मिलेगा। कथा स्थल पर राजराजेश्वरी का अर्चन किया गया जिसमें राज परिवार के सदस्य मोजूद रहें।