कृषि विज्ञान केन्द्र देवास के वैज्ञानिकों ने फसलों को पाले से बचाव के लिए दी सलाह
कृषि विज्ञान केन्द्र देवास के वैज्ञानिकों ने फसलों को पाले से बचाव के लिए किसानों को सलाह दी है। जिले में गत कुछ दिनों से सर्दी बढ़ने के साथ-साथ ठण्डी हवा भी चल रही है जिसे देखते हुए कहीं-कहीं पाले की संभावना बढ़ सकती है। अतः जिले में सर्दी का असर बढ़ना शुरू हो गया है। संभावना है कि शीतलहर और पाले का प्रकोप फसलों को प्रभावित कर सकता है।
पाला पड़ने के लक्षण :- जब आसमान साफ हो, हवा न चले और तापमान कम हो जाए तब पाला पड़ने की संभावना बढ़ जाती है। दिन के समय सूर्य की गर्मी से पृथ्वी गर्म हो जाती है तथा पृथ्वी से यह गर्मी विकिरण द्वारा वातावरण में स्थानांतरित हो जाती है। फलस्वरूप रात्रि में जमीन का तापमान गिर जाता है, क्योंकि पृथ्वी को गर्मी नहीं मिलती है। तापमान कई बार 8 डिग्री सेल्सियस के नीचे पहुंच जाता है। ऐसी अवस्था में ओस की बूंदे जम जाती है। इस अवस्था को पाला कहते हैं।
जानिए कैसे पौधों को हानि पहुंचाता है पाला :-

पाले से प्रभावित पौधों की कोशिकाओं में उपस्थित पानी सर्वप्रथम अंतरकोशिकीय स्थान पर इकट्ठा हो जाता है। इस तरह कोशिकाओं में निर्जलीकरण की स्थिति बन जाती है। दूसरी ओर अंतरकोशिकीय स्थान में एकत्र जल जमकर ठोस रूप में परिवर्तित हो जाता है, जिससे इसके आयतन बढ़ने से आसपास की कोशिकाओं पर दबाव पड़ता है। यह दबाव अधिक होने पर कोशिकाएं क्षतिग्रस्त हो जाती हैं, द्रव्य बाहर आ जाती है। इस प्रकार फसल की कोमल पत्तियों, टहनियों, फलों एवं फलियों को काफी नुकसान पहुंचता है।
पाले से कैसे बचाव करें :-
फसल पर पाले की आंशका को ध्यान में रखते हुए घुलनशील सल्फर 1.5 किग्रा. या पोटेशियम सल्फेट (0:0:50) 2 किग्रा. एवं घुलनशील बोरान 500 ग्राम 500 लीटर पानी में घोलकर प्रति हेक्टेयर छिड़काव करें। जो पौधों की कोशिकाओं में एकत्रित जल को जमने से बचाता है। पाले की आशंका को देखते हुए यह सुझाव दिया जाता है कि किसान भाई खेत में हल्की सिंचाई करें। जिससे फसल के आसपास गर्म वातावरण निर्मित होने से तापमान नहीं गिरता है, जिससे फसलों को बचाया जा सकता है। सिंचाई फव्वारा विधि द्वारा करने की स्थिति में यह ध्यान रखें कि स्प्रिंक्लर लगातार प्रातःकाल से सूर्योदय तक चलायें जिससे फसलों को बचाया जा सकता है। यदि फव्वारा सुबह के 4 बजे तक चलाकर बंद कर दिया जाता है तो ऐसी स्थिति में फसलों की पत्तियों पर उपस्थित जल जमकर नुकसान पहुंचाता है। इस बात का ध्यान रखें कि कभी भी फव्वारा सूर्योदय के पहले बंद न करें। खेतों के आसपास मेढ़ों पर रात्रि में घास-फूस एकत्रित कर धुआं करें जिससे फसल के चारों तरफ तापमान गिरने से बचाया जाकर फसलों को सुरक्षित किया जा सकता है।
नर्सरी पौधशाला में पौधों को पाले से कैसे बचायें :-

पौधशाला में पौधों को ढकने के लिए घास-फूंस, नेट या क्रॉप कवर का उपयोग किया जा सकता है। पौधों को ढकते समय इस बात का ध्यान जरूर रखें कि पौधों का दक्षिण-पूर्वी भाग खुला रहे ताकि पौधों को सुबह व दोपहर को धूप मिलती रहे। नर्सरी पर छप्पर डालकर भी पौधों को खेत में रोपित करने पर पौधों के थावलों के चारों ओर मक्का या ज्वार की कड़बी या टाटी बांधकर भी पौधों को पाले से बचाया जा सकता है।