देवास ज़िले की बागली तहसील में संचालित मिशनरी स्कूल में धर्मांतरण और हिंदू बच्चो की उत्पीड़ना का मामला आया सामने

राष्ट्रीय बाल अधिकार संरक्षण आयोग के अध्यक्ष प्रियंक कानूनगो के देवास जिले के आदिवासी अंचलों में दौरे के दौरान दो अलग-अलग संस्थाओं का निरीक्षण किया गया दोनों ही संस्थान मिशनरी संस्थाओं द्वारा चलाए जा रहे थे।जे जे एक्ट की परिभाषा में देखभाल और सुरक्षा की आवश्यकता वाले बच्चे (सीएनसीपी) बच्चों को पंजीकृत बालगृह में चाइल्ड वेलफेयर कमिटी के आदेश से ही रखा जा सकता है,यहाँ पर इस क़ानून का खुला उल्लंघन देखने को मिला साथ ही साथ संस्थाओं ने पंजीकरण दस्तावेज प्रस्तुत नहीं किए ।लगभग सभी बच्चे हिंदू धर्मावलंबी हैं लेकिन संस्था के चर्च में बच्चे क्रिश्चियन प्रार्थना करते हैं बच्चों को ईसाई धार्मिक प्रार्थनाएँ कंठस्थ करायी गई हैं।

10 साल से भी कम उम्र के मासूम बच्चों से परिसर में घाँस कटवाई जाती है,झाड़ू पोछा करवाया जाता है यहाँ तक कि टॉयलेट भी साफ़ करवाए जाते हैं।

उनकी टीम को यहाँ विदेशी फंडिंग व संस्थान के उच्च राजनीतिक संपर्क के प्रमाण भी मिले हैं,स्पष्ट है कि आदिवासी क्षेत्रों में रसूखदार लोग अपने प्रभाव का इस्तेमाल कर के मासूम बच्चों के धर्मांतरण का गंदा काम कर रहे हैं। श्री कानूनगो द्वारा मध्यप्रदेश सरकार के मुख्यसचिव को नोटिस जारी कर विधिवत कार्यवाही की माँग की गई है ।

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